*******************************
रोते हैं सब लोग धरा पर,हंसता देखा
कोई कोई
सहते है सब लोग यहाँ पर,लड़ता देखा
कोई कोई
जिसने खुद का मतलब समझा,इतिहास
वही तो लिख पाया
कहते है सब लोग यहाँ पर,करता देखा
कोई कोई
********************************
सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें