गुरुवार, 23 मार्च 2017

लिख दूँ कैसे तुम्ही

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जब तक गुंजित होते हो स्वर जनगणमन के
क्रंदन के
जब तक ज़िंदा है भारत में सुर आतंकी 
वन्दन के
सैनिक के जब गिरेबान तक हाथ कोई
लहराते हो
लिख दूँ कैसे तुम्ही बताओ गीत पायलिया,
कंगन के
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कवि सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
रचना-23/03/2017
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