बुधवार, 1 मार्च 2017

देशद्रोह के

देशद्रोह के हर बार......
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खिलाड़ी वही है,मोहरें बदल जाते है
बारात वही है,सेहरे बदल जाते है
लगाने आग मेरे भारत के शान्ति में
देशद्रोह के हरबार चेहरे बदल जाते है!
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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
CR
01/03/2017




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