बुधवार, 26 अगस्त 2015

आरक्षण

देश में फैले आरक्षण के आग और इसके कारण देश में विघटनकारी शक्तियों और पाकिस्तान की बढ़ती रूचि और खतरे पर अपनी रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ|कृपा कर इसे मूल रूप में ही शेयर करे(रचनाकार-सुनिल शर्मा नील)

#आरक्षण के मांग पर#
आग घी में डाल रहे अब ये पाकी मक्कार
जाने कब समझेंगे मेरे भारत माँ के लाल|
भारत माता जल रही आरक्षण के माँग पर
देश जल रहा देखो सारा एक पापी जंजाल पर|
आज एक ने माँगा है कल दूसरे भी माँगेंगे
अपने स्वार्थ के खातिर भारत माँ को काटेंगे|
क्या प्रतिभा मर गयी देश ने 22 वर्ष की उमर में
या फिर पैर है लटक रहे जाने को तुम्हारे कबर में|
बोलो क्यूँ जरूरत पडी आरक्षण के बैसाखी की
जो छीनने की बात कर रहे दिखा रहे सबको झाँकी|
मिटा दो ये शब्द संविधान से जो बेतुकी बात करे
जिसके दम पर फिर कोई अंग्रेज फुट डाल कर राज करे|
बहुत देख चूका देश गुलामी अब न फिर होने देंगे
इस आरक्षण के मांग के खातिर देश नहीं बँटने देंगे||

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें