रविवार, 16 जून 2019

मुक्तक-पिता

जताता है नही अहसान,अक्सर मौन होता है !
सदा नेपथ्य में रहके,कुटुंब का बोझ ढोता है !
हुए लाखों सृजन माँ पर,इन्हें सबने भूलाया है ,
पिता सा त्याग का सिंधु नही कोई जग में होता है !!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें