रविवार, 12 मई 2019

माँ तेरे पाँव नही भूला,,,,,

वो पगडंडी, वो अमराई,वो गाँव नही भूला !
खेला जिस नीम तले कभी वह छाँव नही भूला !
लोग भूल जाते है ऊंचाई पर पहुंचकर जमीं को अक्सर,
मिली लाख बुलंदीयाँ मुझे पर माँ कभी भी तेरे
पाँव नही भूला !

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