रविवार, 3 मार्च 2019

लंका को जलाकर आया जैसे हनुमान है

शत्रु की पकड़ में बिताए दो दिवस किंतु
अधरों में रहा वंदेमातरम गान है !
हुई लथपथ काया राज न बताया पर
सारे भारतीयों का बना तू अभिमान है!
घनी अंधियारों बीच तनिक न मंद हुई
ऐसा अभिनंदन प्रखर दिनमान है,
शत्रुमद चूर कर आता तू लगा कि जैसे
लंका को जलाकर आया वीर हनुमान है !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें