कब तक सीमाओं पे मरते रहेंगे वीर,
कब तक बूढ़े कंधे अर्थियों को ढोएंगे !
कब तक पापा-पापा कहते हुए मासूम,
रात्रियों में सिसकियाँ संग लेके सोएंगे !
कब तक बहनों की मांग होगी सूनी और,
माता पिता छाती पीट पीटकर रोयेंगे!
कब तक कोरी निंदा का ही मात्र होगा खेल
कब तक सीमाओ पे बेटे हम खोएंगे!!
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