सोमवार, 8 मई 2017

फिर उड़ न पाया

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इतना टूटा कि फिर जुड़
न पाया
उन गलियों की ओर मुड़
न पाया
जिनसे हौसला था भरोसा
उसी ने तोड़ा
गिरा इस तरह पँछी की फिर
उड़ न पाया
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सुनिल शर्मा"नील"
ओजकवि,थानखम्हरिया,(छ. ग.)

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