हौसला जब पीर को हमने बनाया।
फूल पत्थर में खिलाकर जग हँसाया।
शक्ति हो बाहों में तो दुनिया तुम्हारी
सूत्र हमको जिंदगी ने यह सिखाया !
शूल पर चलता रहा जो होकर अविचल
आसमां कदमों तले उसने झुकाया !
आफतों को गालियाँ दो इस तरह न
इसने ही हमको तपा कुंदन बनाया !
सत्य का करता रहा हूँ अनुसरण मैं
इसलिए खुदको सदा तन्हा ही पाया!
हँसने वालों चोंट पर औरों के सुनलो
"नील" कहता वक्त से कोई बच पाया !
-सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
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