उन्नति की शिखर पे चढ़ते रहिए किंतु
जमीं से कभी भी जुड़ा रिश्ता न तोड़ना !
तेरी नींद के लिए जो जागा किये रातभर
उन बागबानों से कभी न मुख मोड़ना !
स्वार्थ के लिए भूला दे रिश्तें माँ बाप के जो
ऐसी कामिनी से तार प्यार के न जोड़ना !
उंगली पकड़के जिन्होंने चलना सिखाया,
ऐसे माँ पिता का कभी हाथ नही छोड़ना !!
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