गौ माता
(लावणी छंद प्रयास-1)
सुधार के बाद
मनखे मन ले गउ माता हा, पूछत आज सवाल हवय |
सरबस दे के बेटा मोरे, काबर अइसन हाल हवय ||
नइ माँगव मैं कभू अपन बर, सब ला मैं देवत रहिथँव |
तभो इहाँ दुख ला जिनगी भर, काबर बोलव मैं सहिथँव ||
खेती बारी के बूता मा, काम तुँहर मैं हा आथँव |
दूध दही घी के बदला मा ,जूठा काठा ला पाथँव ||
मोर देह के अंग-अंग मा, देवी-देव समाय हवय |
राम कृष्ण ज्ञानी मानी सब, मोरे महिमा गाय हवय ||
दूधमुहा जब दाई खोथे, जिनगी ओला दे देथँव |
साँसा के डोंगा ला ओखर, बन के माँझी मैं खेथँव ||
फेर आज भटकत हँव भूखे, गारी सब के खावत हँव |
रद्दा मा मोटर के नीचे ,आ के जीव गँवावत
हँव ||
मोर मया के करजा कइसन, सोंचव आज चुकावत हव |
मोला बेंचत हव लालच मा, कटवा के मुसकावत हव ||
दूध पिया जे ला पोंसे हँव, ममता मोर भुलाये हे |
गौ माता ला बिसरा के सब, स्वारथ मा भरमाये हे ||
गौचर भुइयाँ हमर छेंक के, मनखे अब चंडाल बने |
दया धरम अउ नीत भुला के, देखव अब बेताल बने ||
गौ सेवा हा लगथे अब तो, एमन ला लाचारी हे |
कुकुर पोंसना फैशन बन गे, घर रोवत महतारी हे ||
गंगा-गीता-गौ माता ले, जम्मों ये संसार हवय |
करलव तुमन इँकर सेवा ला, जग के इन आधार हवय ||
कहना मोर मान लव भाई, झन तुम अइसन काम करव |
माँ बेटा के पबरित नाता ,कभू नहीं बदनाम करव ||
गौ माता के जय होही तब, जब कुछ कदम उठाहू जी |
नारा बाजी छोंड़ असल जब, सेवा तुमन बजाहू जी ||
अइताचार देख के कइसे, लहू तुँहर नइ खउलत हे |
काबर चुप हव लहू देख जब, मोला काटत पउलत हे ||
मोर मान बर आघू आवव, दाई के तुम ढाल बनव |
धर के टँगिया कल्कि बन के, बैरी के
अब काल बनव ||
माँग तुमन संसद ले करके, कानून पोठ बनावव अब|
पूजे जावय जिहाँ गाय हा,
अइसन दिन फिर लावव अब ||
सुनिल शर्मा"नील"
बेमेतरा