मोर पंख
शनिवार, 14 नवंबर 2020
दोहा-२३,,,,
दोहा -२३
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सदा रहय दियना असन,जगमग जिनगी तोर |
इही हवय शुभकामना,देवारी मा
मोर ||
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सुनिल शर्मा "नील"
हमें दे दी दिवाली खून से जो खेलकर होली-मुक्तक(विधाता छंद)
लगाया भारती के भाल पर है रक्त की रोली|
किया सीमा सुरक्षित वक्ष पर खातें रहें गोली |
जलाना एक दीपक नाम से ना भूलना उनके,
हमें दे दी दिवाली खून से जो खेलकर होली ||
गुरुवार, 12 नवंबर 2020
कुंडलियाँ-कार्य से पहले सोंचो
कार्य से पहले सोंचों-कुंडलियाँ
सोंचों पहले तब करो,जग में कोई काम
हो जाओगे मीत रे,वरना तुम बदनाम
वरना तुम बदनाम,नही कुछ तुम पाओगे
खोदोगे सर्वस्व, बाद में पछताओगे
कहे नील कविराय,बाद मत खम्भा नोचों
क्या ,क्यों और कैसे,कार्य से पहले सोंचों ||
दिवस शरद के आ गए-कुंडलियां
धरती फिर सजने लगी,पल-पल बदले रूप
दिवस शरद के आ गए,भाए सबको धूप
भाए सबको धूप, लताएँ है इठलाती
मंद-मंद मुस्कान, कुसुम हर्षित शरमाती
कंपित रजनी-भोर,हवाएँ ठंडी करती
स्वर्णिम बूँदें ओस,सजाने आती धरती||
शब्द सम्पदा-अन्न,सन्न,आसन्न
शब्द सम्पदा
अन्न
===
जितना खाना अन्न है,लो उतना ही आप |
आधा खाकर छोड़ना,समझा जाता पाप ||
सन्न
==
बेटा मारे बाप को,सुनकर लगता सन्न
संस्कारों से हो रहा,कितना मनुज विपन्न
आसन्न
==
जीवन में संकट कभी,जब-जब था आसन्न|
मुझमें आकर कर गया,अनुभव इक उत्पन्न||
सुनिल शर्मा
बुधवार, 11 नवंबर 2020
करो ना तानाशाही
तानाशाही को मिला,तगड़ा एक जवाब
करने चुकता आ गया,अर्णव सभी हिसाब
अर्णव सभी हिसाब,कोर्ट ने है फरमाया
कहो भला सरकार,क्यों सुनना सच न भाया
कहे नील कविराय,आपको यही मनाही
करिए आप विकास,करो ना तानाशाही||
सुनिल शर्मा नील
मंगलवार, 10 नवंबर 2020
लक्ष्मण जनक जी संवाद(स्वयंवर)
मूली कदली के जैसे हाल करूँ सृष्टि का मैं
पर्वतों में गुरु ये सुमेरु फोड़ डालूँ मैं |
सूर्य और चन्द्र तारे जिनके अधीन सारे
करें वे इशारे तो इन्हें निचोड़ डालूँ मैं|
मही कह वीरहीन,नृप करें न तौहीन
राम जी आदेश दें पवन मोड़ डालूँ मैं
छत्रक के दंड जैसे,करूँ मैं कोदण्ड खंड
कच्चे घट जैसा ये,ब्रम्हांड तोड़ डालूं मैं |
सुनिल शर्मा"नील"
सोमवार, 9 नवंबर 2020
दोहा १८
दोहा क्रमांक-१८
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बाधा आए ले घलो,रूकव कभू झन बीच |
फूलव जइसे खोखमा,फूलय सहिके कीच||
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सुनिल शर्मा
दोहा 15
दोहा-१५
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चौंरा हवय सियान बिन,बर के नइहे छाँव|
कहाँ गँवागे खोजथव,अइसन सुग्घर गाँव||
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सुनिल शर्मा
दोहा 14 जीवजंतु ला मारके
दोहा क्रमांक- १४
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जीवजंतु ला मारके, झनकर अतियाचार |
खाये बर तोर हे बने, जग मा जिनिस हजार||
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सुनिल शर्मा
दोहा -१६ बनके आगी
दोहा क्रमांक-१६
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बनके आगी तुम बरव,ऊखर मनबर आज|
लूटत हावय जेनमन,बेटी मनके लाज||
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सुनिल शर्मा "नील"
दोहा -१७
दोहा क्रमांक-१७
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ठेला पेलत बापहे,दू पइसा बर रोज |
बेटा इंटरनेट बर,मारत हावय पोज ||
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सुनिल शर्मा "नील"
रविवार, 8 नवंबर 2020
महावर देख सके पाँव के,,,
महावर देख उसके पाँव को दिनकर लजा जाए।
जरा वह मुस्कुरा दे तो धवल चंदा भी शरमाए
मयूरा मन थिरक जाए कभी जब केश खोले तो
दृगों से बाण जिसको मार दे हरगिज न बच पाए।
शुक्रवार, 6 नवंबर 2020
दोहा 13
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आलू बादर छुवत हे,रोवावत हे प्याज |
कइसे जीयन गरीबमन,सोंचत हावय आज||
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सुनिल शर्मा
गुरुवार, 5 नवंबर 2020
कुंडलियां-शरद
पाँव पसारा है शरद,सूर्य ताप है मंद
नही सुहाया धूप जो,देता अब आनंद
देता अब आनंद,है निकले साल-रजाई
त्वचा हुई है शुष्क ,नहाना मुश्किल भाई
करें नित्य व्यायाम,शहर के हो या गाँव
रखिये अपना ख्याल,शरद ने रखा है पाँव ||
दोहा
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लिखके चिटकुन जेनहा,फुग्गा फूले जाय|
पावय नही अगास ला,माथा धर पछताय||
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सुनिल शर्मा नील
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