जिसे देखो लगा है दाल वो अपनी गलाने में !
कोई पिकचर चलाने औरकोई सियासत बचाने में !
मगर फ्री काश्मीर की तख्तियों से देश ने जाना,
लगे साजिश में है कुछलोग भारत को जलाने मे !!
गुरुवार, 9 जनवरी 2020
मगर कश्मीर फ्री के तख्तियों से
शुक्रवार, 3 जनवरी 2020
मुक्तक-धन से रिश्ता
बंधा था नेह डोरी से वो बंधन छोड़ डाला है !
किया वादा जो मुझसे था उसे भी तोड़ डाला है
उसे जब होश आएगा बड़ा पछताएगा उसदिन,
भुलाकर प्यार जिसने धन से रिश्ता जोड़ डाला है!
व्यसन,,,,,
जवानी को चढ़ा जाने अजब सा कैसा ये धुन है !
कोई गांजा,चरस कोई,कोई सड़को पे ही टून है !
दिशा देते जो भारत को वही भटकें स्वयं देखों ,
युवा पीढ़ी को करता खोखला ये व्यसन का घुन है !!
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