कुंडलिया-5
*सगा*
सुधार के बाद
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पहुना ये भगवान कस, देवव उनला मान |
सुग्घर स्वागत ला करव,करवावव जलपान ||
करवावव जलपान, शास्त्र सब इही सिखाथे |
धरे सगा के रूप, नरायण घर मा आथे |
सेवा करके आप,सफल जीवन कर लेवव|
सदा अतिथि ला मान,देवता जइसे देवव||
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सुनिल शर्मा"नील"