मोर पंख
शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020
जगत को जो करे कल्याण(विधाता-गीता जी )
सकल पृथ्वी करे पावन सुखद ऐसी पुनीता है |
करें संदेश से जो तृप्त ऐसी एक सरिता है |
नही है प्रश्न कोई हल नही जिसका निहित इसमें,
जगत का जो करें कल्याण ऐसा ग्रंथ गीता है ||
अटल बिहारी अटल रहे
अमेरिकी प्रतिबंधों के आगे जो बिल्कुल
अचल रहे |
लगा नही कोई दाग जिन्हें व्यक्तित्व से बिल्कुल विमल रहे |
कविकुल भूषण,हिंदी पुत्र, व्यवहार से जो प्रतिमान रहें ,
कई बार थी मौत भी हारी अटल बिहारी अटल रहें ||
मंगलवार, 22 दिसंबर 2020
मुक्तक-विधाता( क्रमांक 1)
कभी प्रेमी जनों के मध्य में बिष घोलना मत तुम |
बिना समझे किसी को राज अपने खोलना मत तुम |
इसी से शांति होती है इसी से युद्ध होता है,
बिना तोलें कभी भी शब्द अपनें बोलना मत तुम ||
गुरुवार, 17 दिसंबर 2020
अकड़ वाले तरु तूफान(मुक्तक़ विधाता)
बिना मूरत बनें पत्थर नही कीमत में बिकते है !
सदा जो दें बड़ों को मान वें इतिहास लिखतें है!
नवाकर तृण सदा सिर को बचें रहतें है विप्लव में,
अकड़ वाले तरु तूफान के आगे न टिकते है !
बुधवार, 16 दिसंबर 2020
मुक्तक-किसान(विधाता छंद)
सड़क पर देश के निकले हुए हैं देश के हलधर |
शरद में भी डटें हैं वो सड़क को ही बनाकर घर |
कुपित है वें नए कानून से आता समझ है पर,
खिलाफत में वहाँ पर तख्तियाँ है देश के क्योंकर ||
मंगलवार, 8 दिसंबर 2020
विधाता छंद -1(किसान)
कलम जो हाथ ना पकड़ा सको शमशीर तो मत दो |
हँसा सकते नही हमको अगर तुम नीरतो मत दो |
नही करना किसानों की मदद तो गालियाँ ना दो,
दवा जब दे नहीं सकते हमें तुम पीर तो मत दो ||
गुरुवार, 3 दिसंबर 2020
समय-छंद पादाकुलक
आज का छंद
पद पादाकुलक
विधान-१६ मात्राएं,४ चरण
सादर समीक्षार्थ
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बीते ना नाहक समय कभी
जो करना है कर आज अभी
निश्चित जीवन की रेखा है
कल बोलो किसने देखा है
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सुनिल शर्मा
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