छप्पय प्रयास -3
*रामभक्त हनुमान*
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जा के सागर पार, खबर सीता के लाये |
झोंक आज वरदान, मोर मन हे हरसाये ||
सब ले बड़का भक्त, वत्स हनुमान कहाबे |
छू नइ पावय काल, अमर हो पूजे जाबे ||
पूजा करही तोर जे, अपन नवाही माथ ला |
रइही ओखर मूड़ मा, किरपा के मोर हाथ हा ||
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सुनिल शर्मा