नियंत्रण में लगे रहें,महामारी के हम
उधर हजारों दोगलें,बने थे मानव बम !
मंगलवार, 31 मार्च 2020
सोमवार, 30 मार्च 2020
बीतेगी यह काली रात(आल्हा)
"बीतेगी यह काली रात"
(आल्हा छंद में प्रयास)
कोरोना है बड़ा भयंकर,नही निकलिए घर से आप-!
निकलेंगे तो होगा खतरा,भूल से न करिए यह पाप !!
हाथ जोड़कर करे नमस्ते,नही मिलाए कोई हाथ !
बार-बार धोएँ हाथों को,रहें प्रशासन के हम साथ !!
रखिए सादा खान-पान को,मानव होकर बनो न काग !
जबसे पशुता को अपनाया,जग में लगी तभी से आग !!
कोई भूखा हो पड़ोस में,उनकी क्षुधा करें हम शांत !
मजदूरों की भी हो चिंता,फँसे हुए जो दूजे प्रांत !!
जो विदेश से होकर आए,नही छुपाए कोई बात !
रहे पृथक खुद को जो घर में,फैल न पाएगा यह भ्रात !!
दुनिया ने है टेके घुटने,पर हम न खाएंगे मात !
जीतेगा भारत निश्चित ही,बीतेगी यह काली रात !!
कवि सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
सर्वाधिकार सुरक्षित
रविवार, 29 मार्च 2020
मंदिरों का हिसाब
जिन्हें पढ़ना नही आता किताब मांग रहे है!
जिन्हें प्रश्न पूछने का सलीका नही जवाब मांग रहे!
कभी कौड़ी न चढ़ाई जिन्होंने मंदिर की दानपेटी में,
ऐसे भीखमंगे मंदिरों का हिसाब मांग रहे है!!
सुनिल नील
शनिवार, 28 मार्च 2020
अनंग हो गया हूँ मैं
अंग-अंग में लगन प्रेम की लगाई ऐसी
रति हो गई है तू अनंग हो गया हूँ मैं !
देकर उमंग नवप्राण है प्रदान किया
शांत झील का जैसे तरंग हो गया हूँ मैं
हृदय हिरण पाके भरता कुलांचे अब
मिल गई जबसे मलंग हो गया हूँ मैं
रंग लेके आसमा में उड़ता हूँ खुशियों के
डोर हो गई है तू पतंग हो गया हूँ मैं
संग,जंग,रंग,ढंग,पतंग,मलंग,तुरंग,तंग,ल
संग संग रहती हो जीवन में रंग बन
शुक्रवार, 27 मार्च 2020
मिला तेरा सहारा,
फटी चादर दुःखों से थी उसे सीने
लगी हूँ मैं !
गमों के आंसूओं को हँसके अब पीने
लगी हूँ मैं !
मिला तेरा सहारा जिंदगी को जबसे
हे प्रियतम ,
तुझे पाकर के दुगुना देखना जीने
लगी हूँ मैं !!
बुधवार, 25 मार्च 2020
तू स्वाति और मैं चातक हूँ जग से,,,,,
तू स्वाति और मैं चातक हूँ जग से कह न पाऊँगा !
विरह का दुख तुम्हारा मैं कभी भी सह न पाऊंगा !
कभी गुस्से में भी कह दूं अकेला छोड़ दो मुझको ,
न तन्हा छोड़ना मुझको मैं तुमबिन रह न पाऊँगा !!
कवि सुनिल नील
मैं स्वाति हूँ
मैं स्वाति है तू चातक हूँ तेरे बिन रह न पाऊँगा !
मोहब्बत है मुझे तुमसे किसी से कह न पाऊंगा !
कभी गुस्से में भी कह दूं अकेला छोड़दो मुझको,
नही तुम छोड़ना ये हाथ तुमबिन रह न पाऊँगा !!
कवि सुनिल नील
शनिवार, 21 मार्च 2020
तोड़ना मिलकर हमें है कोरोना की यह लड़ी
तोड़ना मिलकर हमें है "कोरोना"की यह लड़ी !
रौंदकर दुनिया को आकर सामने है यह खड़ी !
"जनता कर्फ्यू"के समर्थन से ये निश्चित हारेगा ,
धैर्य से गर काम लें बीतेगी संकट की घड़ी !!
कवि सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
सर्वाधिकार सुरक्षित
गुरुवार, 19 मार्च 2020
जीतेगा हिंदुस्तान कोरोना से जंग
जीतेगा हिंदुस्तान,कोरोना से जंग
अगर प्रशासन संग में,जनता होगी संग
जनता होगी संग,करेगी समस्त उपाय
जो बचाव के लिए,गए है हमें सुझाए
ना फैले अफवाह,समय यह भी बीतेगा
सूझबूझ से आपके,हिंदुस्तान जीतेगा !
शनिवार, 14 मार्च 2020
प्रभु का क्रोध कोरोना,,,,
"कोरोना"रोना बना,जग इससे भयभीत
अपने कर्मों की सजा,भोग रहे हम मीत
भोग रहे हम मीत,मूक जीवों को खाया
है पवित्र यह देह,इसे है नर्क बनाया
कर दानव सा काम,किया दूषित हर कोना
समझो तुम संकेत,प्रभु का क्रोध कोरोना!!
मंगलवार, 10 मार्च 2020
प्रेमरंग
माना मजबूर है हम नही पास है !
पर सदा तेरे होने का अहसास है !
रंग जितने चढ़ें सब ही भाए मगर,
प्रेमरंग तेरा उनमें लगा खास है !!
बीजेपी के हुए ग्वालियर के महाराज
महाराज के दांव से,कमलनाथ है दंग !
सत्ता के इस कूप में,आज पड़ गया भंग!
आज पड़ गया भंग,समझ न किसी को आया!
जीता हुआ प्रदेश,राहुल ने है गंवाया !
तज कांग्रेसी रंग,होली में देखो आज
बीजेपी के हुए,ग्वालियर के महाराज!!
शुक्रवार, 6 मार्च 2020
हम वंशज राणा
गजराज जीवन श्वानों का कभी जीया नही करते !
चातक जल धरती का कभी पीया नही करतें !
मिट जाया करतें है हसंते हँसते मातृभूमि के लिए,
हम वंशज राणा के स्वाभिमान से समझौता किया नही करतें !!