फटी चादर दुःखों से थी उसे सीने लगी हूँ मैं ! गमों के आंसूओं को हँसके अब पीने लगी हूँ मैं ! मिला तेरा सहारा जिंदगी को जबसे हे प्रियतम , तुझे पाकर के दुगुना देखना जीने लगी हूँ मैं !!
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