गजराज जीवन श्वानों का कभी जीया नही करते ! चातक जल धरती का कभी पीया नही करतें ! मिट जाया करतें है हसंते हँसते मातृभूमि के लिए, हम वंशज राणा के स्वाभिमान से समझौता किया नही करतें !!
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