शनिवार, 25 जून 2016
झन काटव जी रूख ल
झन काटव जी रुख ल
झन काटव जी रुख ल-कबिता
************************************ होके अंधरा स्वार्थ म,कइसे तोरे काम
काटके सइघो रूख ल,देत "बिकासे" नाम
"रूख"जउन ह जीयत भर,दिस तोला तो सांस ममता दिसे दाई कस ,करत ओखरे नास
जरी-बुटी,फल-फूल के,दिसे जेन उपहार
काबर आरा ले कटत,पारत हे गोहार
गावत झूलय झूलना,जेन चिरइमन साख
उजारे खोंदरा उखर,काटे उखरो पाँख
तड़फत सब्बो जीवमन ,देवत हवय सराप
करही तोरे नाश रे,मनखे तोरे पाप
गरमी लगही जाड़ कस,सावन ह पानी बिन
रौरव नरक ल भोगबे,आही ग अइसे दिन
घूरही जिनगी म जहर,परही परदूसन मार भोगेबर करनी के फल ,रह मनखे तइयार
भुइयां नोहय तोर भर,सबके हे अधिकार
जीयन दे सबो जीव ल,सबला दे ग पियार
रूख बिना हे काय रे,मनखे तोर औकात
रुख हवय त तय हवस,सार इही हे बात
झन काटव जी रूख ल,"नील" कहत करजोर रुख लगाके कर हरियर, बारी,अगना,खोर| ******************************** सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
24/06/2016
copyright
गुरुवार, 23 जून 2016
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बुधवार, 22 जून 2016
नील के दोहे
नील के दोहे
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"रूप"
1)चंदा घलो लजा जथे ,अइसन तोरे रूप
मीठ मंदरस के हरस,गोरी तै तो कूप
"नाक"
2)काम कर अइसे जेमा,ऊंचा होवय नाक
अपजश ले होथे बने,हो जाना जी खाक
"ज्ञान"
3)देवत रहीस मंच मा ,शाकाहारी ज्ञान
रात दिन उही मांस ले,करत हवे असनान
"पाँव"
4)तीरथ ले बढ़के हवय,मातपिता के पाँव
भूलव झन ओला कभू,जेन मया के छाँव
"हाथ"
5)किरिया खावय जेनहा,दुहू जनमभर साथ
रद्दा बीचे मा उही,छोड़त हे अब हाथ
************************************
सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
copyright
सोमवार, 20 जून 2016
मुक्तक-किस मुँह से
बुधवार, 15 जून 2016
बेटी ल पढ़ाव जी
बेटी ल पढ़ाव जी
~विधा-घनाक्षरी~ ********************************* जिनगी के अधार बेटी,घर के बहार बेटी
आवय गंगा धार बेटी,बेटी ल बचाव जी
बेटी चिरईया आय,आँसू पोछैया आय
बेटा-बेटी बरोबर ,भेद ल मिटाव जी
बेटी छुही अगास,लाही नवा उजास
बेटी ल ओखर अधिकार देवाव जी
समाज म पाही मान ,लाही नवा बिहान
देके सुग्घर संस्कार ,बेटी ल पढ़ाव जी
हिरदे म सपना के ,गठरी बंधाय हे
कहत हे का नोनी के,हिरदे सुनव जी
पिंजरा के मिट्ठू ह ,उड़ना चाहे अगास
सुवना के थोरकुन, सपना ल गुनव जी
उचहा उड़ावन दे,गीत ल गावन दे
रद्दा के ओखर काटा,खुटी ल बिनव जी
आधा अबादी बिन हे,अभिरथा बिकास
बेटी के बिकास बर ,रद्दा ल गढ़व जी
नव दिन पूजे जाथे,"बेटी" देबी कहाथे
तभो ले काबर ओहा,दुख बोलोपाथे जी
कहु होथे बलत्कार,कहु पाथे दुत्कार
काबर ओहा भोग के,चीज माने जाथे जी
बेटी-बहनी-सुवारी, बनके महतारी
जीवन ल अपन सेवा म बिताथे जी
बदला म कभू कुछू,बपरी मांगे नही
तभो ले काबर बेटी,"गरुच"कहाथे जी| ********************************* सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
रचना 15/6/2016
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शनिवार, 11 जून 2016
नया कश्मीर
गुरुवार, 9 जून 2016
तरक्की-गजल
****************************
चाँद घर छोड़कर चाँद पर जा रहा
आज सूरज तरक्की पे इतरा रहा
भीतर से शैतान और बाहर से साधु
हर शख्स चेहरे पे मुखौटा लगा रहा
समाज सुधारक बेटे के घर देखो
बाप रोटी के लिए आँसू बहा रहा
नारी को 'वस्तु' समझने वाला यहाँ
मंच पर 'बेटी बचाओ'चिल्ला रहा
दीमक भी हैरान है येमंजर देखकर
आदमी कैसे आदमी को खा रहा
मौन भारत माता औ शर्मिंदा तिरंगा है
सियासत कैसे-कैसे 'रामवृक्ष'उगा रहा
गीदड़ बताता परिभाषा शाकाहार की
देशद्रोही "आजादी" का अर्थ सीखा रहा
सिर्फ चेहरे बदले तासीर अब भी वही है
सियासत गधों को घोड़ो से उम्दा बता रहा
किस कामयाबी का ढोल पीटता 'नील'
जब इंसानियत कोने में आँसू बहा रहा| ********************************* सुनिल शर्मा "नील" थान खम्हरिया(छ.ग.) 7828927284 09/06/2016 CR
शुक्रवार, 3 जून 2016
श्रम के मंत्र से
"श्रम के मंत्र "से ********************************* 'लक्ष्य' बना कोई और उसकी धारा में
बहता चल
बाधाएँ लाख आए इरादे हो तेरे बिल्कुल
अटल
चाहता है जो भी देंगे 'बनवारी' उससे ज्यादा देखना
"श्रम के मंत्र"से तू उलाहनाओं को प्रशंसा में
बदल
******************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
03/06/2016
कोपीरीघत
बुधवार, 1 जून 2016
काश तेरे
*******************************
काश तेरे नाम से कोई
कानून हो जाए
हर भूखे को नसीब रोटी
"2 जून"हो जाए
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छ.ग.)
02 जून 2016