मिटाकर भेद आपस की,दिलों से दिल मिलेंगे जब !
गगन-धरती मिलेंगे फिर,कमलदल उर खिलेंगे तब !
जहाँ मजहब नही पहचान हो सबकी तिरंगे से ,
बनाएँगे नया भारत,जहाँ मिलकर रहेंगे सब !!
मापनी : 1222 1222 1222 1222
-सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया
मिटाकर भेद आपस की,दिलों से दिल मिलेंगे जब !
गगन-धरती मिलेंगे फिर,कमलदल उर खिलेंगे तब !
जहाँ मजहब नही पहचान हो सबकी तिरंगे से ,
बनाएँगे नया भारत,जहाँ मिलकर रहेंगे सब !!
मापनी : 1222 1222 1222 1222
-सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया
कुछ उनकी सुनो,कुछ अपनी सुनाते
चलो !
मोहब्बत के मरहम से,हर घाव मिटाते
चलो !
जिंदगी नही चलती,हर बात दिल मे
लेने से,
कुछ बातें वह भूले,कुछ तुम भी भूलाते
चलो !!
कोहिनूर बनाया गुरु ने,,,,
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जीवनपथ पर मुझे चलना सिखाया गुरु ने
जब भी भटका सदमार्ग दिखाया गुरु ने !
क्या हूँ और क्यों हूँ ज्ञात नही था मुझे
मेरे अस्तित्व का उद्देश्य बताया गुरु ने !
मैं तो कोयला था,कोई कीमत न थी मेरी
मुझे तराशकर कोहिनूर बनाया गुरु ने !
जब-जब उखड़ते थे संकटों में पग मेरे
तूफां से लड़ने का पाठ पढ़ाया गुरु ने !
सादा जीवन,सादा आहार,उच्च विचार
सादगी का हरदम मंत्र सुझाया गुरु ने !
कुछ ने अपशब्द कहे कुछ ने भूलाया उसे
पर सबको अपने हृदय में बसाया गुरु ने!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छ. ग.)
सर्वाधिकार सुरक्षित
27/07/2018
जब कारगिल को था,शत्रुओं ने हथियाया
हिंदुस्तान ने मिशन,विजय चलाया था !
चोंटीयों से लड़ रहे,पाकी घुसपैठियों को
भारतीय वीरता का,झलक दिखाया था !
गरजे थे मिग और,गरजा बोफोर्स संग
महादेव के नारों से,दुश्मन थर्राया था !
अपना भूभाग छीन,भारती के लाडलो ने
शान से माँ भारती का,ध्वज फहराया था!!
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जब भी बरसे बूंदे बैरन,याद सताए साजन
के !
आस मिलन की मन में पाले,तड़पे बिन मनभा
-वन के!
जिसकी पीर वही है जाने,दूजा इसको क्या
समझे,
जब भी प्रीत करेगा कोई,गीत लिखेगा सावन के !!
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सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
जो अपने अंतस की पीड़ा,गीत बनाकर गाता है !
जिसके कविता का आँसू से,एक अनोखा नाता है !
जिसके शब्दों में है चिंतन,अपनी माटी की खातिर ,
ऐसा कवि ही काव्यजगत में,नाम अमर कर जाता है !!
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अंतस की पीड़ा को अपनी,गीत बनाकर गाता है !
भावों की स्याही से जो,कागज पे कुछ लिख जाता है !
आत्माकथा का लेखांकन,जो काव्यरूप में करता है,
ऐसा मानव ही जग में,साहित्यकार कहलाता है !!
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सभी चाहते सुंदरता को,सीरत का कोई मोल नही !
मतलब के रिश्ते है केवल,लबों पे मीठे बोल नही !
देशधर्म और नैतिकता से,सरोकार है किसको अब,
झूठ बिक रहा है लाखों में,सत्य का कोई तो नही!!
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सुनिल शर्मा,"नील"🌿
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सभी चाहते सुंदरता को,सीरत का कोई मोल नही !
मतलब के रिश्ते है केवल,लबों पे मीठे बोल नही !
देशधर्म और नैतिकता से,सरोकार है किसको अब,
झूठ बिक रहा है लाखों में,सत्य का कोई तो नही!!
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सुनिल शर्मा,"नील"🌿
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सभी चाहते सुंदरता को,सीरत का कोई मोल नही !
मतलब के रिश्ते है केवल,लब पे मीठे बोल नही !
देशधर्म और नैतिकता से,सरोकार है किसको अब,
झूठ है बिकता लाखो में,सत्य का कोई तोल नही!!
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🌿 सुनिल शर्मा,"नील"🌿
चंद पंक्तियाँ पापा को समर्पित,,,,
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मेरे दुःख में मुझे हिम्मत,दिलाने कौन आएगा !
चिरागों सा मुझे जलना,सीखाने कौन आएगा !
फँसा जब भी भंवर में मैं,बने पापा सहारा तुम,
तुम्ही गर रूठ जाओगे,मनाने कौन आएगा !
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सुनिल शर्मा"नील"C R
7828927284
मेरे दुःख में मुझे हिम्मत,दिलाने कौन आएगा !
चिरागों सा मुझे जलना,सीखाने कौन आएगा !
फँसा जब भी भंवर में मैं,बनी "माँ"तुम सहारा हो,
तुम्ही गर रूठ जाओगी,मनाने कौन आएगा !
"बस एक तू नही है"
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सब कुछ है पास मेरे
बस एक तू ही नही है ! !।!
कह देता हूँ भले सबको
जीवन मे सबकुछ सही है! !2!
पर रातों में याद कर तुझे
आँखें मेरी कई बार बही है! !3!
कैसा भाग्य है मेरा होकर
मुझसे जाने तू दूर कहीं है ! !4!
कैसे जान पाएगा भला तू
आँखे कैसे बिन तेरे रही है! !5!
धोखों को सहकर अपनो के,
जिंदगी यह कितने बार ढही है । !6!
जीवन भर रहना है तेरे बिन
वास्तविकता मेरी बस यही है! !7!
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"भारती"से सदा ही वफ़ा कीजिए !
"भूमि"इसको नही माँ कहा कीजिए !
पालकर,पोसकर है बनाया तुम्हे
उसका खाकर नमक न दगा कीजिए !!
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भूलकर न वतन से,,,,
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"भारती"से सदा ही वफ़ा कीजिए !
इसको भूमि नही माँ कहा कीजिए!
जिसने पाला है,पोसा है,बनाया तुम्हे
उसका खाकर नमक न दगा कीजिए !!
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हेलमेट की आदत बनाइए,,,,,
.......................................
वक्त से भले तनिक देर हो जाइए !
वाहन सदा संयमित होकर चलाइए !
आपकी सुरक्षा से परिवार की खुशी है ,
आज से हेलमेट की आदत बनाइए !!
.........................................
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया नगर
7828927284
सर्वाधिकार सुरक्षित
कदम दर कदम तू,आगे बढ़ते रहना !
साहित्य में नूतन,इतिहास गढ़ते रहना !
मरकर भी अमर हो जाएगा तेरा नाम ,
किताबों संग लोगों की पीड़ा पढ़ते रहना!!
कदम दर कदम जो,आगे बढ़ा करते है !
सफलता के नूतन वो,शिखर चढ़ा करते है!
लक्ष्यपथ में नही डिगते तूफानों के आगे ,
वही तो अक्सर,इतिहास गढ़ा करते है !!
जो बीत गया एक बार,कभी वह पल नही आएगा !
जो "आज" है पास तेरे,लौटकर कल नही आएगा !
जो करना है आज कर,कल पर मत टाल पगले,
आदत है यह बुरी,इससे कभी मंगल नही आएगा !!
तुम्हारे लिए,,,,,
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है मेरे पाप इतने कि मैं इनको ढो नही सकता !
है इतने दाग दामन पे कि उनको धो नही सकता !
लगी ठोकर स्वयं को जब तो जाना दर्द तेरा है ,
अभागा हूँ मैं इतना चाहकर भी रो नही सकता !!
आस इतनी है तुझसे मिलके दिल की बात कह लेता !
मै पश्चाताप के आँसू में संग-संग स्वयं बह लेता !
नही मैं चाहता कंटक बनू तेरी गृहस्थि का ,
तू अपने हाल में रहती मैं अपने हाल में रह लेता !!
नही जी पाऊंगा जो कहना है तूझसे दिल मे रखकर मैं !
सदा जलता रहूँगा होकर अतृप्त नफरत को सहकर मैं !
मुझे सम्भव हो तो तुम माफ कर उपकार कर देना ,
कहीं ऐसा न हो तृष्ना रहे अमर,मर जाऊं जलकर मैं!!
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गरजता है बरसता है,प्रणय मनुहार करता है !
मुझे पाने विनय श्री राम,से सौ बार करता है !
रहूँ जब तक सफर में मैं,न खाता है न पीता है ,
सनम मेरा मुझे खुद से,ज़ियादा प्यार करता है !!
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सुनिल शर्मा"नील"
मुक्तक लोक
मुक्तक समारोह -16
आदरणीय अध्यक्षा-श्रीमती सुधा राजपूत दीदी
संरक्षक-श्री सुनिल शर्मा"नील"
व आदरणीय पटल को सादर समर्पित यह प्रयास!
प्रदत्त पंक्ति-
गरजता है बरसता है,प्रणय मनुहार करता है
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गरजता है बरसता है,प्रणय मनुहार करता है!
मेरे गुस्से के बदले वो,मृदु व्यवहार करता है!
रहूँ जब भी सफर में मैं,न खाता है न पीता है
मेरा दिलबर मुझें खुद से ज़ियादा प्यार करता है!!
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सुनिल शर्मा"नील"
रिश्तों को शिद्दत से,निभाता रहा मैं !
खुशबू वफ़ा की सदा,लुटाता रहा मैं!
जिन्हें अपना समझा,सारे गैर निकले,
सबको हँसाकर आंसू,बहाता रहा मैं!!
रिश्तों को शिद्दत से,निभाते रहा मैं !
वफ़ा की खुशबू को,लुटाते रहा मैं !
मैं सबका हुआ,कोई मेरा हो न सका,
फूल बाँटकर भी,काँटा पाते रहा मैं !!