शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

कोहिनूर बनाया गुरु ने,,,


        कोहिनूर बनाया गुरु ने,,,,
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जीवनपथ पर मुझे चलना सिखाया गुरु ने
जब भी भटका सदमार्ग दिखाया गुरु ने !

क्या हूँ और क्यों हूँ ज्ञात नही था मुझे
मेरे अस्तित्व का उद्देश्य बताया गुरु ने !

मैं तो कोयला था,कोई कीमत न थी मेरी
मुझे तराशकर कोहिनूर बनाया गुरु ने !

जब-जब उखड़ते थे संकटों में पग मेरे
तूफां से लड़ने का पाठ पढ़ाया गुरु ने !

सादा जीवन,सादा आहार,उच्च विचार
सादगी का हरदम मंत्र सुझाया गुरु ने !

कुछ ने अपशब्द कहे कुछ ने भूलाया उसे
पर सबको अपने हृदय में बसाया गुरु ने!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छ. ग.)
सर्वाधिकार सुरक्षित
27/07/2018

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