छन्न पकैया
सार छंद -3
छन्न पकैया-1
विषय-पर्यावरण
छन्न पकैया छन्न पकैया, आवव पेड़ लगाबो |
धरती दाई ला हरियर कर, जुरमिल चलव सजाबो ||
छन्न पकैया छन्न पकैया, हवय रूख उपकारी |
माँगय नइ बदला मा काँही, हरथे सब बीमारी ||
छन्न पकैया छन्न पकैया, मन ला ये हरसाथे |
इही गिरा के रिमझिम पानी, सब के प्यास बुझाथे ||
छन्न पकैया छन्न पकैया, तीपत भुँइया हे भारी |
आनी बानी के फैलत हे, दुनिया मा बीमारी ||
छन्न पकैया छन्न पकैया, जल थल हे जहरीला |
करत हवय मनखे धरती मा , रावण जइसे लीला ||
छन्न पकैया छन्न पकैया, जेन डार मा बइठे |
काटत हावय मानुष ओला, ताकत मा हे अइँठे ||
छन्न पकैया छन्न पकैया, पाटव झन तरिया ला |
जीव जंतु ला मत मारव अउ, घेरव झन परिया ला ||
छन्न पकैया छन्न पकैया, सब ला चलव जगाबो |
परदूषण के राक्षस ला चल, मिलके हमन भगाबो ||
सुनिल शर्मा
थान खम्हरिया