कोरे आश्वासन की अब तो,चटनी चाट न पाएँगे
बूढ़ेपन की चिंता में यह,पेट काट न पाएँगे
खाली हाथ न लौटेंगे बिन संविलियन आदेश लिए
लेकर आँखों में हम आँसू,खुशियाँ बाँट न पाएँगे!
सोमवार, 20 नवंबर 2017
शिक्षाकर्मी की आवाज,,,,,
शनिवार, 11 नवंबर 2017
कहने को सारी,,,,
पोंछ सके जो आँसू मेरे,ऐसा कोई खास नही
रूठ गई है खुशियाँ सारी,जीने की अब आस नही
किसको अपने घाव दिखाऊँ,किससे अपना दर्द कहूँ
कहने को सारी दुनिया है,लेकिन कोई पास नही।
गुरुवार, 9 नवंबर 2017
कहने को सारी दुनिया है लेकिन कोई खास नही-मुक्तक
पोंछ सके जो आँसू मेरे,ऐसा कोई खास नही
पीर मिली इतनी कि अब तो,रिश्तों में विश्वास नही
दुःख के इन घड़ियों ने मुझको,पाठ यही सिखलाया है
कहने को सारी दुनिया है,लेकिन कोई पास नही।
मंगलवार, 7 नवंबर 2017
बन्द खिड़कियाँ मन की खोलो,,,,
बड़े भाग से पाया यह तन,इसका कुछ उद्धार करो
राम नाम की ओढ़ चदरिया,सबपे तुम उपकार करो
दो दिन की है ये जिंदगानी,क्योंकर द्वेष किसी से हो
बन्द खिड़कियां मन की खोलो,सुधियों का सत्कार करो।।
गा पाऊँ मैं पीर जगत की,,,,
जो सोए हैं उन्हें जगाना,कविता की परिभाषा है,।
राष्ट्रधर्म हो सबसे पहले,जीवन की यह आशा है,।
युग युग तक मैं गाया जाऊँ इसका कोई लोभ नही,।
गा पाऊँ मैं पीर जगत की,बस इतनी अभिलाषा है,।।
-सुनील शर्मा नील
सोमवार, 6 नवंबर 2017
नयन से किंतु अबतक
मेरी खातिर जमाने के,वो कितने मार सहती है
सहे कितने सितम लेकिन, मुझे ही प्यार कहती है
सुना है हर खुशी से है महकती जिंदगी उसकी
नयन से किन्तु अब तक,आंसुओं की धार बहती है।
वो दिखती
मेरी खातिर जमाने के,वो कितने मार सहती है
मिला जिससे उसे धोखा,उसी को प्यार कहती है
मुकम्मल है उसे सबकुछ,वो दिखती खुश भी ऊपर से
नयन से किन्तु अब तक,आंसुओं की धार बहती है।
शुक्रवार, 3 नवंबर 2017
बिटिया की आँखों में,,,,,
जहाँ रहे वह बाँटती ख़ुशियाँ,सुख की राशि रहती है
पावन गंगाजल होकर भी,सदा ही प्यासी रहती है
ससुराल और पीहर दोनों ने है उसको गैर कहा
बिटिया की आंखों में हरपल,एक उदासी रहती है!।