सहते रहें है छल,जाफर व कासिमो के
सदियों से भारत की ,है यही व्यथा रही |
प्रेम और मान दे दुलारतें रहें हैं जिन्हें
उनकी सदैव डसने की ही प्रथा रही |
भाई कह हृदय लगाके छुरी खाते रहें
भाईचारे वाली बात उनकी वृथा रही |
कमलेश रणजीत,गगन,अंकित,रिंकू
निर्दोषों के हत्याओं की सैकड़ों कथा रही ||
सुनिल शर्मा"नील"