बस इसलिए उसका इन्तजार किया करता हूँ...
क्यूँकि मुहब्बत को मैं खुदा कहता हूँ.....
देर है उसके घर पर अंधेर नहीं करता.....
एक इसी आस में सजदे किया करता हूँ......
सुनिल शर्मा
देवांगन पारा,थान खमरिया
7828927284
बस इसलिए उसका इन्तजार किया करता हूँ...
क्यूँकि मुहब्बत को मैं खुदा कहता हूँ.....
देर है उसके घर पर अंधेर नहीं करता.....
एक इसी आस में सजदे किया करता हूँ......
सुनिल शर्मा
देवांगन पारा,थान खमरिया
7828927284
"कलम पीड़ा नही लोभ लिखे"
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जब अखबारों में झूठ दिखे
कलम पीड़ा नही लोभ लिखे
लोकतंत्र को लगता "ग्रहण"है
अंधेरों को कभी जो सूरज बिके|
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सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
कॉपीराइट
23/01/2017
चिलमन से कर इशारे,बेताब कर रही है
मेरी मुहब्बत मुझे ,आदाब कर रही है
चाँद जल रहा है मेरे चाँद को देखकर
रोशनी आज उसका,महताब कर रही है
लौटना है"राही"को......
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चंद टुकड़े कागज के पाकर
इतराता है आदमी
इसे पाने रिश्तों का लहू
बहाता है आदमी
ये जानकर लौटना है"राही"
को एक दिन
जाने क्यों "घर" सराय को
बताता है आदमी!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
78289272846
Copyright
16/01/2017
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चंद कागज को पाकर इतराता है
आदमी
इसे पाने अपनों का भी लहू बहाता
है आदमी
भूल जाता है "राही"घर लौटना है
सफर के बाद
जाने क्यों "सराय"को घर अपना
बताता है आदमी!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
Copyright
16/01/2017
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हमर संसकीरती,हमर पहिचान हरय
छत्तीसगढ़ी परंपरा के बिधान हरय
का जानही एला"भीख"कहइयामन
परब"छेरछेरा"तो दान के बिज्ञान हरय!
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सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया(छ. ग.)
7828927284
12/01/2017
CR
शमशीर कलम यदि,,,,,,
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शमशीर कलम यदि कर लो तुम,तस्वीर बदल ही जाएगी
पापों की लंका वारों से,निश्चित तेरे जल
जाएगी
मिट जाएंगे सन्त्रास सभी,मजलूमों और
मासूमों के
लौटेगा तब त्रेता उस दिन,औ धन्य धरा
हो जाएगी!
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कवि सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
11/01/2017
कॉपीराइट
दोहा-इंसाफ
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कहाँ यहाँ क़ानून है,कहाँ यहाँ इंसाफ़
खच्चर घोड़ो से भले,कहते है ये साफ़!
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रचना-09/01/2017
कौड़ी के तीन है,,,,,,
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दौलत से राजा,संस्कारों से हीन है
स्वार्थ के पुतले,संवेदनाओं से दीन है
वैसे तो घोलके पीए बैठे है किताबें
पर मानवता के नाम पे कौड़ी के तीन है
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रचना-09/01/2017
मुक्तक-चमन के नाज बन जाओ
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बिखर जाओ फिजाओं में,चमन को
आज महकाओ
दिलों में है छुपा शोला,उसे तुम आज
भड़काओ
उठो शमशीर बनकर तुम,मिटाने पाप
भारत से
भगत,आजाद सम तुम भी,वतन के नाज
बन जाओ|
★★★★★★★★★★★★★★★★
कवि सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया,(छत्तीसगढ़)
7828927284
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05/01/2017