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जो हुआ वह भूलकर,अब मन्त्र ले संघर्ष का
आ जरा हम यत्न से,छूलें शिखर उत्कर्ष का
काम हो हर हाथ में ,ऐसा नया भारत गढ़े
दो विदा गतवर्ष को,स्वागत करें नववर्ष का
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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छ. ग.)
28/12/2016
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बुधवार, 28 दिसंबर 2016
स्वागत करें नववर्ष का
शनिवार, 24 दिसंबर 2016
इन्हें भाता है तैमूर
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माफ़ करना "महाराणा" हम
शर्मिंदा है
तेरे देश में आज भी जयचंद
जिन्दा है
कलाम,हमीद नही इन्हें भाता
है तैमूर
वतन से नमकहरामी इनका पुराना धंधा है|
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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
25/12/2016
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मंगलवार, 13 दिसंबर 2016
मुहब्बत की नही रेखा
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वफ़ा जिससे किया मैंने दिया धोखा मुझे यारो
मुझे समझा खिलौने सा सदा खेला किया यारो
उसे कातिल भला खुद का कहूँ मैं कैसे बोलो जब
हथेली में मुहब्बत की नही रेखा मेरे यारो|
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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छ.ग.)
7828927284
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13/12/2016
नोटबंदी का कैसा ये प्रहार
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एक तरफ सूखा तो दूसरी तरफ बहार है
भ्रष्टाचारी गुलाबी और गरीबो की कतार है
हर शख्स कर रहा बस यही सवाल है
कालाधन पे नोटबंदी का कैसा ये प्रहार है?
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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
9755554470
13/12/2016
कॉपीराइट
सोमवार, 12 दिसंबर 2016
नोटबंदी का कैसा ये प्रहार
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एक तरफ सूखा तो दूसरी तरफ बहार है
भ्रष्टाचारी गुलाबी औ गरीबों की कतार है
यही प्रश्न उठ रहा भारत के जनमानस में
कालाधन पे नोटबंदी का कैसा ये प्रहार है
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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छ. ग.)
7828927284
9755554470
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निराला साहित्य समिति के सदस्य धर्मेंद्र निर्मल के द्वितीय कृति व्यंग्य संग्रह "तुंहर जउहर होवय"का विमोचन 12/12/2016 को संयुक्त रूप से दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति एवम निराला साहित्य समिति थान खम्हरिया द्वारा AIM भवन दुर्ग में हुआ जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में व्यंग्यकार विनोद साव जी,अध्यक्षता रवि श्रीवास्तव जी एवम वरिष्ठ अतिथिगण के रूप में संजीव तिवारी जी(संपादक गुरतुर गोठ),राजकमल सिंह राजपूत जी(अध्यक्ष निराला साहित्य समिति थान खम्हरिया),एवम डॉक्टर संजय दानी जी(अध्यक्ष दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति)रहे!किताब के समीक्षा के रूप में सभी ने अपने विचार रखे!इस कार्यक्रम में बहुत से वरिष्ठ साहित्यकार शकुन्तला शर्मा जी,छंदविद अरुण नॉम जी,रमेश चौहान जी,सूर्यकांत गुप्ता जी,गजलकार गिरिराज भंडारी जी,गिरधारी देवांगन जी,संदीप साहू जी सहित आप सबका यह मित्र सुनिल शर्मा"नील"भी रहा!कार्यक्रम का सफल संचालन छंदविद रमेश चौहान ने किया!
बुधवार, 7 दिसंबर 2016
कच्चे घर की तरह
कच्चे घर की तरह ********************************* मौसम के सारे प्रहार हँसकर सहती है
सर पे मेरे वह छाँव बनकर रहती है
जब भी थकता हूँ बड़ा सुकून देती है
किसी घर की तरह मुहब्बत मुझे लगती है ********************************* सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया(छ.ग.) 7828927284 07/12/2016💐
शनिवार, 3 दिसंबर 2016
चले थे बंद जो करने
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चले थे बन्द जो करने,हुए मुँह
बंद है उनके
मल रहे हाथ अब केवल,हुए सुर
मंद है उनके
विपक्षी द्वेष में पागल,हुए कितने
न पूछो तुम
देशबंद के समर्थन में,समर्थक
चंद है उनके
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सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया(छ. ग.)
7828927284
03/12/2016