जिन्हें पढ़ना नही आता किताब मांग रहे है! जिन्हें प्रश्न पूछने का सलीका नही जवाब मांग रहे! कभी कौड़ी न चढ़ाई जिन्होंने मंदिर की दानपेटी में, ऐसे भीखमंगे मंदिरों का हिसाब मांग रहे है!!
सुनिल नील
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