मूली कदली के जैसे हाल करूँ सृष्टि का मैं
पर्वतों में गुरु ये सुमेरु फोड़ डालूँ मैं |
सूर्य और चन्द्र तारे जिनके अधीन सारे
करें वे इशारे तो इन्हें निचोड़ डालूँ मैं|
मही कह वीरहीन,नृप करें न तौहीन
राम जी आदेश दें पवन मोड़ डालूँ मैं
छत्रक के दंड जैसे,करूँ मैं कोदण्ड खंड
कच्चे घट जैसा ये,ब्रम्हांड तोड़ डालूं मैं |
सुनिल शर्मा"नील"
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