शब्द सम्पदा
अन्न
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जितना खाना अन्न है,लो उतना ही आप |
आधा खाकर छोड़ना,समझा जाता पाप ||
सन्न
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बेटा मारे बाप को,सुनकर लगता सन्न
संस्कारों से हो रहा,कितना मनुज विपन्न
आसन्न
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जीवन में संकट कभी,जब-जब था आसन्न|
मुझमें आकर कर गया,अनुभव इक उत्पन्न||
सुनिल शर्मा
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