मार रहे कंश आज गर्भ में ही शिशुओं को
कंशों को मिटाने फिर अवतारी आइए !
लूट रही कितनी ही द्रौपदी के चीर यहाँ
चीर को बचाने फिर गिरधारी आइए !
कलयुगी वासना से प्रेम हुआ कलुषित
प्रेम को सीखाने फिर बनवारी आइए,
दुष्टों के दल हानि धर्म की है कर रहे
धर्म स्थापना को फिर चक्रधारी आइए !!
सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
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