ये अंधेरें मुझे रोक पाएँगे क्या ! कर्मपथ से मुझे ये डिगाएँगे क्या ! मैं तो दिनमान हूँ न रुकूँगा कभी, बनके बादल मुझे ये छिपाएँगे क्या !!
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