बुधवार, 25 सितंबर 2019

नील के सजल-1

भारत माँ की सेवा में जीवन अर्पित करना होगा
राष्ट्रवाद के सुप्तभाव को फिर जीवित करना होगा!

कार्य करें ऐसा जिससे भारत माँ का सम्मान बढ़ें
भगत-शिवा के आदर्शों को अंगीकृत करना होगा !

भेदभाव व जात,रंग के द्वेष न हो कोई जिसमें
ऐसी फूलों की वरमाला हमें सृजित करना होगा

प्रदूषण से विनष्ट हो रही सुन्दरता इस धरती की
इसके संरक्षण से भूमि को आल्हादित करना होगा!

ताप से पश्चिम की कोई न पौध बाग के मुरझाए
संस्कारों से "नील"हमें उसको सिंचित करना होगा!!

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

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