जिधर देखो उधर आतंक का फैला कहर यारों ! सुरक्षित है नही इनसे कोई गाँव-शहर यारों ! कहूँ कैसे भला भाई उन्हें जो देश को फूँके , फिजाओं में जिन्होंने देश के घोला जहर यारों !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें