हर गली घूम रहे,दुशासनों के है झुंड
बहु और बेटियों को,इनसे बचाइए !
चीर को बचाने नही,आएंगे गोविंद अब
आत्मरक्षा हेतु उन्हें,सबल बनाइए!
अबला नही है नारी,दुर्गा का रूप है वें
बालपन से उन्हें ये,घुट्टियाँ पिलाइए!
महँगे दिलाये सेल,उनको परन्तु आप
संग-संग कोई उन्हें,शस्त्र भी दिलाइए!!
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