"व्यथा"
कभी किसी के व्यथा का,करना मत
उपहास
जो बाँटोगे एकदिन,वापस आये
पास !!
"कथा"
कथा राम की जो सुनें,बनते उनके काम
दो अक्षर के नाम में,निहीत सब सुखधाम!
"प्रथा"
देशप्रेम की वह प्रथा,जबसे हुई विलुप्त
गद्दारों के बढ़ गए,तबसे हमलें गुप्त!!
कवि सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
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