अंधकार में न कहीं,गुम जाए तेरा पुत्र
उंगली पकड़के माँ, मुझको उबार दे !
जात-पात,ऊंच-नीच, के गिरा दीवार सारे
बैर भाव को मिटाके, प्यार तू अपार दे !
बनके कटार करे, देशद्रोही का सँहार
लेखनी को शारदे प्रखर ऎसी धार दे !
सच को सदा ही लिखे,स्वार्थ में कभी न बिके,
राष्ट्रहित में ही मेरी लेखनी को वार दे !!
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