विधा-सजल
मात्राभार-22
समांत-आर
पदान्त-कर दिया
आपने खुशियों को तार-तार कर दिया22
प्रेम को भी आपने व्यापार कर दिया22
समझा कि प्रेम करके हम साथ चलेंगे 22
प्रेम में ही आपने क्यों वार कर दिया22
जीवन बना दिया है रसहीन आपने22
पाषाण मुझे ,खुद को रसधार कर दिया
पहले हृदय के तार से हृदय जोड़ कर 22
क्यों दिलों के बीच में दीवार कर दिया 22
समझाऊं अर्थ प्रेम का* कभी तुम्हें प्रिये 22
जिसकी वजह से* दृष्टि आर -पार कर दिया22
कवि सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया
7828927284
सादर समीक्षार्थ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें