सीमाओं के शेर हम एक बार प्रण लेते
साँस थम जाने तक प्रण नही तोड़ते
महाकाल के है भक्त काल से न घबराते
काल से भी लड़ जाते मुख नही मोड़ते
परिवार से भी बड़ा फर्ज है हमारे लिए
स्वार्थ के कभी भी कोई रिश्तें नही जोड़तें
प्राण छूंट जाए भले शत्रुओं से जूझने में
पर हरगिज ये तिरंगा नही छोड़ते !!
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