दुःख को भी सुख जैसे करें आप शिरोधार्य
आया है जो एकदिन लौटकर जाता है!
पावस में सूर्य भी तो छुप जाता बादलों में
किन्तु उन्हें चीरकर बाद मुस्काता है!
अंधियारा लिखता उजाले की है पटकथा
चक्र यह दिनरात का हमें बताता है !
सहकें सहस्त्र कष्ट वन के न खोते धैर्य
तब राम,राम से "श्रीराम" बन पाता है !!
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