लाल-लाल कर आंखें,कहा हनुमान जी ने
आज इस जलधि को,पल में सूखा दूं मैं!
पीकर समूचा जल,पथ को बना दूं और
सेना को श्रीराम जी के,पार पहुंचा दूं मैं!
सेना भी जरूरी नही,राम जी करें आदेश
स्वयं के ही दम पर,लंका को उड़ा दूं मैं!
किंतु मेरे राम जी का,रोक देता प्रण मुझे
नही तो रावण मार,सीता माँ को ला दूं मैं!!
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