जो श्रम करके स्वयं के श्रेय को औरों को देता है ! फंसे नैया किसी की जब भी तब आकर के खेता है ! धड़कता है हृदय जिनका सदा परमार्थ की खातिर , वो मर जातें है पर यह जग सदा नाम उनका लेता है!!
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