सजल सादर प्रस्तुत-
समांत - ईल
पदांत- कहूँ मैं
मात्राभार-16
🙏🙏
सागर तुमको नील लिखूँ मैं
संस्कारी सुशील लिखूं मैं!
हो पवित्र गंगा सी बिल्कुल
आंखों को क्या झील कहूँ मैं।
मैं पतंग सा प्रियतम तेरा
मत दो मुझको ढील कहूँ मैं।
कोई ताकें पथ में तुमको
उन सबको क्या कील कहूँ मैं!
अंधेरे राहों का सहारा
क्या तुमको कंदील कहूँ मैं!
सुनिल नील
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