सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

कहे नील कविराय -2



सरस्वती वंदना (कुंडलिया 2)

सादर वंदन आपकी, करूँ झुकाकर माथ |
हे माँ वाणी नील का, नही छोड़ना हाथ ||
नही छोड़ना हाथ, रचूँ जो भी मैं कविता |
सबको लागे नीक, लगे पावन ज्यों सरिता ||
भाव शिल्प हो श्रेष्ठ, समाहित सबका आदर |
कविता ऐसी मातु , रचूँ मैं अनुनय सादर ||

सुनिल शर्मा नील
गुवारा, थान खाम्हरिया (छत्तीसगढ़)




शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

कहे नील कविराय 1



जय गणेश देवा
कहे नील कविराय 
कुंडलिया 1

वंदन करता दास यह, सुनो नाथ गणराज 
वर देना इस नील को, पूरन हो सब काज 
पूरन हो सब काज, विघ्न कोई मत आये 
सृजन कराओ आप, ह्रदय जो सबके भाये 
पहला मेरा प्रयास, महक जाए जस चंदन 
करो कृपा हे वीर, करूँ मैं सादर वंदन

सुनिल शर्मा नील
गुवारा, थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़ )

मंगलवार, 2 सितंबर 2025

बिगड़ा आज समाज


आंखों का पानी मरा, गई शरम औ लाज |
गलती कर कहते युवा, बिगड़ा आज समाज ||

युवा भ्रमित दिखता मुझे, देखूं जिस भी ओर |
कब तम का अवसान हो , कब आएगी भोर ||

छोटे होते वस्त्र औ, खोए है संस्कार |
नंगापन फैशन बना, भ्रमित हुए नर नार ||

गंदे गीतों पर युवा, बना रहे है रील |
अनुनय है मां बाप से , मत दो इतनी ढील ||

प्रेम शब्द का अर्थ ये, जाने ना मतिमंद |
तरुणाई को खो रहे, होकर अति स्वच्छंद ||

मोबाइल के रोग से, पीड़ित है संसार |
नैतिकता के नाव से , होगा बेड़ापार ||

स्वरचित/मौलिक
सुनिल शर्मा नील
गुवारा,थान ख़म्हरिया(छत्तीसगढ़)

बुधवार, 28 अगस्त 2024

पापा

बहुत मन था मुझे बचपन सा गोदी में बिठाते फिर |
सबल कंधों में लटकाकर मुझे झूला झूलते
फिर |
अधूरी अब रहेंगी ये मेरी ख्वाहिश सदा पापा
|
बहुत मन था मुझे सीने से बेटा कह लगाते तुम
||

सुनिल शर्मा नील

सोमवार, 26 अगस्त 2024

गोविंद नाम(जन्माष्टमी पर मत्तगयंद छंद)

अंतस होय उजास करे मन
पावन नाम मिटावय जाला |

कौन कृपाल कहां इन सा 
सबके मुख को यह देत निवाला |

कर्म प्रधान दिया उपदेश 
पढ़े जग ग्रंथ महान निराला |

नील कहे भज ले जप ले यह 
गोविंद नाम बना मनमाला ||

कवि सुनिल शर्मा नील
बेमेतरा छत्तीसगढ़
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नील केजीवन में नया करो

चक्कर चौरासी के लगाके घनचक्कर हूं
चक्रधारी चाकर पे अब तो दया करो

विरह के व्याल बार- बार डसते है मुझे
वासुदेव मौन क्यों हो कुछ तो बयां करो

दृष्टि से नेह वृष्टि करो नाथ सृष्टि के
छोड़ सब आज काज मेरी कृपया करो

बूझे दीप खुशियों के जीवन वृथा सा लगे 
गतिहीन नील के जीवन में नया करो






बुधवार, 8 मार्च 2023

वरना न अबकी बार

देखो मैं होली में न कुछ मलाल करूँगा |
रोकर नही मैं खुद का बुरा हाल करूँगा |
ली है कसम तेरे ही हाथ से रंगूंगा मैं |
वरना न अबकी बार गाल लाल करूँगा ।।