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परछाई की तरह संग-संग चलता है
कभी मौन ,कभी चिड़ियों सा चहकता है
एक एहसास जिसकी अनुभूति जुदा है
"मुहब्बत"है तेरा जो मुझमें कहीं रहता है|
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सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,छत्तीसगढ़
7828927284
CR
17/11/2015
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