मोर पंख
रविवार, 26 जून 2022
मुक्तक-नारी
वही बहना,वही तो माँ,वही बिटिया
दुलारी है |
उसी से है सभी रिश्तें उसी से सृष्टि
सारी है |
सदा वह बाँटकर खुशियाँ,दुःखों को
झेलती आई,
करे जो त्याग हर युग में उसी का नाम
नारी है ||
कवि सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया
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