कीचक रावण दुशासन जयद्रथ बाली
नारी अस्मिता पे घात जो यहाँ लगाता है |
करता शोणित से स्नान स्वयं के सदा वो
प्राण पद मान वंश स्वयं का गँवाता है |
नारी स्वाभिमान पर मौन रहकर भीष्म
अंत का समय बाण शैय्या पे बिताता है |
नारी लज्जा हेतु निज प्राण को गँवाता गिद्ध
मृत्यु के समय गोद राम जी का पाता है ||
सुनिल शर्मा 'नील'
4 /06/2022
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