कुरूपता को मिटा मुझको है मनभावन बना डाला ! मेरे जीवन को तपते जेठ से सावन बना डाला ! उठाकर पथ से इस पत्थर को देकर प्रीत को अपने , पतित था मैं बहुत तुमने मुझे पावन बना डाला !
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