मोर पंख
रविवार, 25 अक्टूबर 2015
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 वो ऑंखें पथरा गई महबूब को तकते पर न वो आया और न ही उसके वादे| 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 सुनिल शर्मा नील 7828927284
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें